मैं कलयुग का रावण हूँ
खोज रहा हूँ राम ।
मिल जाएँ वो तब
होगा फ़िर सँग्राम ॥
दौड़ाई नज़र चहुँ ओर तो
रह गया हैरान ।
नज़र आ रहे बस मुझको
वहाँ भरे बस वही तीन शैतान ॥
हो रहा कोई भ्रम है मुझे
जो मेरी नज़रें धोखा खाए ।
आज मेरे सामने ये
कौन छल किये जाये ॥
हैरान न हो हमें देख रावण
कह करीब मेरे वो आया ।
उसके मुँह से अपना नाम सुन
मैं बड़ा चकराया ॥
यह कलयुग का विभीषण है
भीतु और दगाबाज़,
इस पर आज भी
नहीं करता कोई विश्वास ॥
वह कलयुग का कुँभकरण है
जो रहे हमेशा सोता,
मिल जाये समय पर खाने को
फिर कर लेता आँख मुँह कान बंद ॥
मैं कलयुग का रावण हूँ
ताकत मुठ्ठी में मेरी सारी
जिसने ना मानी बात मेरी
समझो ज़िन्दगी उसकी हारी ॥
ये कलयुग है, और इस युग मे
राम नहीं हैं आते,
इस सँसार को हम रावण
अपनी तरह हैं चलाते ॥
मैं कलयुग का रावण हूँ,
तू भी कलयुग का रावण है ॥
खोज रहा हूँ राम ।
मिल जाएँ वो तब
होगा फ़िर सँग्राम ॥
दौड़ाई नज़र चहुँ ओर तो
रह गया हैरान ।
नज़र आ रहे बस मुझको
वहाँ भरे बस वही तीन शैतान ॥
हो रहा कोई भ्रम है मुझे
जो मेरी नज़रें धोखा खाए ।
आज मेरे सामने ये
कौन छल किये जाये ॥
हैरान न हो हमें देख रावण
कह करीब मेरे वो आया ।
उसके मुँह से अपना नाम सुन
मैं बड़ा चकराया ॥
यह कलयुग का विभीषण है
भीतु और दगाबाज़,
इस पर आज भी
नहीं करता कोई विश्वास ॥
वह कलयुग का कुँभकरण है
जो रहे हमेशा सोता,
मिल जाये समय पर खाने को
फिर कर लेता आँख मुँह कान बंद ॥
मैं कलयुग का रावण हूँ
ताकत मुठ्ठी में मेरी सारी
जिसने ना मानी बात मेरी
समझो ज़िन्दगी उसकी हारी ॥
ये कलयुग है, और इस युग मे
राम नहीं हैं आते,
इस सँसार को हम रावण
अपनी तरह हैं चलाते ॥
मैं कलयुग का रावण हूँ,
तू भी कलयुग का रावण है ॥
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